बक्सर में विश्व प्रसिद्ध 5 दिवसीय पंचकोसी परिक्रमा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ मां गंगा के पूजन के साथ शुरू हो गया। पंचकोशी परिक्रमा का शुभारम्भ ऐतिहासिक एवं धार्मिक मान्यता वाले घाट रामरेखा घाट पर स्नान पूजा अर्चन व आरती के साथ शुरू हुआ। जहां से प्रथम पड़ाव अहरौली पहुंचा परिक्रमा किया गया। अहिरौली में हजारों श्रद्धालुओं माता अहिल्या की पूजा कर दीप जलाया तथा पुआ पकवान का प्रसाद ग्रहण किया। वहीं, संतान की सलामती के लिए माताओं ने अपने आंचल पर लौंडा नाच कराया। बता दें कि पंचकोसी परिक्रमा नाम के अनुरूप ही पांच कोसों की दूरी में ही यात्रा पूरी की जाती है। परंपरा के मुताबिक पंचकोसी परिक्रमा को पैदल ही चल कर पूरा करने की परंपरा कायम है। परिक्रमा मेले में आये श्रद्धालु पांच अलग-अलग जगहों पर अपना पड़ाव बनाते है।
भगवान श्रीराम से जुड़ी है मान्यता
पंचकोसी परिक्रमा का शुभारम्भ कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को होती है, जो अगले पांच दिनों तक चलती है। इस यात्रा के माध्यम से भगवान श्रीराम महर्षि विश्वामित्र का यज्ञ सफल होने के बाद पांच ऋषियों के आश्रम पर जाकर उनका आशीर्वाद लिए थे। वहीं, रात्रि विश्राम के समय भोजन रूप में जिन व्यंजनों को ग्रहण किये थे। उस व्यंजनों को लोग पांच दिन अलग-अलग प्रसाद रूप में ग्रहण करते हैं।
24 नवंबर को बक्सर में लिट्टी चोखा का प्रसाद किया जाएगा ग्रहण
बता दें कि 20 नवंबर को अहिल्या आश्रम अहिरौली, 21 नंबर को नारद आश्रम नदाँव, 22 नवंबर को भार्गव आश्रम भभुआ, 23 नवंबर को उद्दालक आश्रम बडका नुआंव एवं 24 नवंबर को विश्वामित्र आश्रम चरित्रवन बक्सर में मनाया जायेगा। वहीं डीएम अंशुल अग्रवाल ने मेला स्थल एवं आस पास के क्षेत्र एवं संबंधित सरोवरों की पर्याप्त साफ-सफाई, पेयजल एवं शौचालय की व्यवस्था कराने का निर्देश दिया है।