डेस्क: लोकसभा चुनाव- 2024: चुनावी संसाधन में कमी के बावजूद “जीजा” पर भारी अर्चना 

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जमुई लोकसभा की लड़ाई स्थानीय पढ़ी-लिखी राजद प्रत्याशी अर्चना रविदास के चुनावी मैदान में आने से जितनी रोचक हो गई है, लेकिन संसाधन मोर्च पर चिराग के बहनोई अरुण भारती आगे है। बावजूद इस मुकाबले में अर्चना कुमारी भारी पड़ रही है। बता दें कि दो दफा से लगातार चिराग पासवान भारी अंतर से जीत हासिल कर सांसद बने हुए है, लेकिन 10 वर्षों में क्षेत्र में जो कार्य किए है वह नाकाफी है। जिस वजह से चिराग को लगातार विरोध का सामना करना पड़ रहा था। इस बार चिराग पासवान खुद अपने दिवंगत पिता स्व.रामविलास पासवान के सीट हाजीपुर से चुनाव लड़ रहे है। जबकि जमुई लोकसभा से चिराग ने अपने बहनोई अरुण भारती को उतारा है। शायद ही चिराग का खामियाजा उनके बहनोई को उठाना पड़ सकता है। गौरतलब हो कि जमुई (सु.) लोकसभा क्षेत्र तीन जिलों जमुई, मुंगेर और शेखपुरा में फैली हुई है। तारापुर भाजपा अध्यक्ष सम्राट चौधरी का गृह क्षेत्र है तो शेखपुरा की पहचान राजो सिंह से रही है। दिग्विजय सिंह और नरेंद्र सिंह परिवार के कारण जमुई और चकाई चर्चित रहा है। चिराग भले खुद यहां कम आते-जाते रहे पर झाझा में केन्द्रीय विद्यालय, फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया का क्षेत्रीय कार्यालय, पासपोर्ट ऑफिस खोलवाकर लोगों के जेहन में जगह बनाए हुए हैं। वैसे राजद की अर्चना के लिए उस क्षेत्र में दो दशक से दबदबा बनाए हुए जयप्रकाश यादव व उनके भाई विजय प्रकाश पूरी ताकत लगाए हुए हैं।
परिसीमन के बाद हुए तीनों बार एनडीए चुनाव जीता
परिसीमन के बाद इस सीट पर लगातार एनडीए का कब्जा है। एनडीए और विपक्ष के प्रत्याशियों में 2009 व 2014 के चुनाव में तकरीबन 10% का फासला रहा। 2019 में यह गैप 25% का हो गया। यहां से पिछला दो चुनाव जीतने वाले चिराग पासवान ने अपने बहनोई को प्रत्याशी बनाया है। राजद ने इस सीट पर हर बार नया उम्मीदवार उतारा। 
छह विधानसभा में पांच एनडीए के कब्जे में
जमुई जिले की चारों विधानसभा सीट सिकन्दरा, जमुई, झाझा और चकाई तो एनडीए के कब्जे में है ही, मुंगेर जिले की तारापुर भी एनडीए के पास है। ऐसे में एनडीए के नेता और कार्यकर्ता भी आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए लगातार क्षेत्र में बने हुए हैं। उनके घूमने के लिए अरुण भारती भी हर तरह के संसाधन का इस्तेमाल कर रहे हैं।

शेखपुरा सीट राजद के कब्जे में
सिर्फ शेखपुरा सीट राजद के कब्जे में है इसलिए अरुण उस क्षेत्र में अपनी पकड़ बनाने के लिए खूब मेहनत कर रहे हैं। वहीं, अर्चना अपने गृह विधानसभा क्षेत्र झाझा के साथ ही पूरे जमुई जिले में लगातार कैंपेन कर रही है। अर्चना को जीत दिलाने के लिए हाल ही में राजद आए मंत्री सुमित कुमार सिंह के भाई अजय प्रताप एड़ी-चोटी लगाए हुए हैं, वहीं अर्चना के पति मुकेश यादव के साथ मुंगेर इलाके के भी कई राजद नेता जमे हुए हैं।

शेखपुरा में 10 वर्षों में एक ट्रेन का ठहराव भी नहीं करा सकें चिराग 
10 वर्षों में चिराग पासवान के द्वारा शेखपुरा-क्यूल-गया रेलखंड के महत्वपूर्ण स्टेशन शेखपुरा में एक भी एक्सप्रेस ट्रेन का ठहराव नहीं कराया गया है। जिसको लेकर स्थानीय लोगों ने हस्ताक्षर अभियान, धरना प्रदर्शन के साथ-साथ चिराग पासवान का पुतला भी फूंका था। बता दें कि किउल-गया रेलखंड पर दिल्ली, पुणे व सिकंदराबाद जाने के लिए एक्सप्रेस ट्रेन चल रही है। शेखपुरा में इन ट्रेनों का ठहराव नहीं है। जिस वजह से यहां के लोगों को ट्रेनों को पकड़ने के लिए किऊल या नवादा जाना पड़ता है। लेकिन आज तक यहां के लोगों की मांग अधूरी है। 
जमुई लोकसभा सीट का जातिगत समीकरण
बिहार की जमुई सीट वैसे तो अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। लेकिन यहां यादव औ मुस्लिम वोटर भी बड़ी संख्या में हैं। राजनीतिक दलों द्वारा पूर्व में जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक यहां यादव वोटर 3 लाख से ज्यादा हैं। इसके बाद मुस्लिम, फिर दलित और महादलित वोटरों की संख्या है। सभी राजनीतिक दलों का टारगेट दलित और महादलित वोट बैंक पर होता है। मगर मुस्लिम और यादव भी इस सीट पर बड़ी किसी भी पार्टी के उम्मीदवार की हार-जीत में बड़ी भूमिका निभाते हैं।

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