शेखपुरा में किसानों को स्वरोजगार के लिए जागरुक करने, उनकी पोषण आवश्यकताओं को पूरा करने एवं उनके आर्थिक उन्नयन के उद्देश्य से दो दिवसीय मशरूम प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंम सोमवार को किया गया। एकीकृत उद्यान विकास योजना 2023-24 के अंतर्गत सोमवार को संयुक्त कृषि भवन शेखपुरा के सभागार में दो दिवसीय मशरूम प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ उपनिदेशक उद्यान मुंगेर प्रमंडल पवन कुमार, जिला क़ृषि पदाधिकारी, क़ृषि विज्ञान केंद्र के वरीय व प्रधान वैज्ञानिक, आत्मा के उप परियोजना सहायक सहित अन्य पदाधिकारीयों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में किसान मौजूद थे। मुंगेर प्रमंडल के उद्यान उपनिदेशक पवन कुमार ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि मशरूम की खेती कर किसान आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो रहे हैं। उन्होंने सरकार द्वारा संचालित योजना का लाभ लेने की अपील किसानों से की। कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक के द्वारा मशरूम के महत्व की जानकारी दी गयी। उन्होंने कहा कि मशरूम छातेदार खाने योग्य फफूंद है। इसमें काफी पोषक तत्व होता है। मशरूम मांसाहारी और शाकाहारी दोनों खाने में इसका उपयोग कर सकते हैं।
कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक ने मशरूम के महत्व की जानकारी दी
मशरूम की खेती कर बन सकते हैं समृद्ध शेखपुरा के उद्यान सहायक निदेशक आभा कुमारी ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि मशरूम की खेती कर इसे रोजगार के रूप में अपना कर किसान व बेरोजगार युवक अच्छी आमदनी अर्जित कर किसानी क्षेत्र में बेहतर कर सकते हैं। कम समय व कम लागत में मशरूम का बेहतर उत्पादन कर किसान आर्थिक रूप से समृद्ध हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि जिले के प्रशिक्षण प्राप्त कृषकों को 90% अनुदान पर पहले आओ-पहले पाओ के आधार के अनुसार अनुदानित दर पर मशरूम किट उपलब्ध कराई जाती है। साथ ही इसके अतिरिक्त प्रशिक्षण प्राप्त कृषकों हेतु राज्य सरकार के द्वारा झोपड़ी में मशरूम उत्पादन की योजना भी चलाई जा रही है। जिसमें शेखपुरा जिले के कृषक लाभ ले रहे हैं। प्रशिक्षण के दौरान मशरूम के उत्पादन तथा उसमें लगने वाले रोग एवं कीट प्रबंधन की विस्तार से जानकारी दी गई। अरियरी प्रखंड के प्रखंड उद्यान पदाधिकारी कुंदन कुमार ने बताया कि मशरूम का उपयोग भोजन एवं औषधीय के रुप में किया जाता है। मशरूम की खेती करने से किसान को लागत से दो-ढाई गुना आमदनी आसानी से प्राप्त हो जाती है। उन्होंने बताया कि इस प्रशिक्षण का नैतिक उद्देश्य किसानों को अत्याधुनिक तकनीक से मशरूम के उत्पादन करने की विधि से अवगत कराया गया, ताकि किसान कम लागत में अच्छी आमदनी प्राप्त कर सके।
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