150 फीट ऊँचे गिरिहिंडा पहाड़ पर अवस्थित मंदिर में होता है शिव-पार्वती का भव्य विवाह कार्यक्रम
शिव व शक्ति की मिलन की रात होती है शिवरात्री, कुंवारी कन्याओं के व्रत करने से मिलते है मन योग्य वर
प्रचलित किवदंती के अनुसार भीम ने किया था शिवलिंग की स्थापना
देवो के देव महादेव की बारात महाशिवरात्रि पर शुक्रवार को गिरिहिंडा पहाड़ पर अवस्थित शिव-पार्वती मंदिर से बाजे-गाजे, ढोल-ढमाकों के साथ निकलेगी। बारात में शिव भक्त के साथ भूत-प्रेत, पिशाच, दानव के वेशभूषा की सजीव झांकी के साथ नाना प्रकार की आवाज, दहाड़, किलकारी, चीख-पुकार करते बाराती निकलेंगे तो वहीं सभी भगवान स्वरूप इस बारात में शामिल होंगे। हर वर्ष इस अद्भुत बारात को देखने जनसैलाब उमड़ता है। शिव की बारात जिस गली, मोहल्ले, चौराहे से निकलती भूतनाथ की बारात देखने बरबस लोगों के कदम ठिठक जाते हैं। आयोजकों के अनुसार गिरिहिंडा पहाड़ पर अवस्थित शिव-पार्वती मंदिर से शाम पांच बजे नगर भ्रमण करते विभिन्न मुहल्लों से गुजरेगी, जहां बारात का पुष्प और प्रसाद के साथ स्वागत होगा। बारात में बनी झाकियां आकर्षण का केन्द्र बनी रहती हैं। बारात में भूत-प्रेत, देवी-देवता लोगों का आकर्षण का केन्द्र बनते हैं। बाराती डीजे की धुन में नाचते लोग भोले के जयकारे लगाते हैें। तरह-तरह की झांकियां बारात में बनाई जाती हैं। खासकर शिव भगवान के इस बारात में आसपास के गांवों के अलावा अन्य जिलों के श्रद्धालुओं भी यहां पहुंचते है। इस शिव-पार्वती विवाह में हजारों लोग शामिल होते है और पूरी रात यह कार्यक्रम रीति रिवाज से चलता है। इसको लेकर मंदिर कमिटी के लोगों द्वारा बिजली, पानी, महाभोज सहित अन्य मुलभुत सुविधाओं का व्यवस्था किया जाता है। सुरक्षा के मद्देनज़र पुलिस बल की भी तैनाती रहती है। महाशिवरात्रि को लेकर जिले के गिरिहिंडा पहाड़ पर स्थित शिव-पार्वती मंदिर के साथ-साथ जिले के विभिन्न मंदिरों में तैयारियां पूरी कर ली गयी है। गिरिहिंडा पहाड़ पर स्थापित शिवलिंग को भीम द्वारा स्थापित माना जाता है। जिसको लेकर यहां शिवरात्रि के मौके पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रहती है और एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन होता है।
कुसेढ़ी पंचमुखी शिवलिंग में पूजा-अर्चना को लेकर उमड़ती है भीड़
बरबीघा प्रखण्ड अंतर्गत कुसेढ़ी गांव स्थित भगवान शंकर के भव्य पंचमुखी शिवलिंग से जुड़ी आस्था और विश्वास के कारण यहां स्थापित शिवमंदिर श्रद्धालुओं को हमेशा आकर्षित करते आ रही है। बरबीघा प्रखंड अंतर्गत कुसेढ़ी गांव में स्थापित इस मंदिर में अद्वितीय पंचमुखी शिवलिंग इतनी पुरानी है कि इसके स्थापना और उत्खनन के सम्बन्ध में कोई तथ्यात्मक जानकारी किसी के पास नहीं है। मान्यता है कि एक व्यक्ति के सपने में भगवान शंकर ने इस स्थल की खुदाई करने की बात कहे थे। खुदाई के दौरान पंचमुखी शिव की प्रतिमा निकली। उसके बाद ग्रामीणों ने इस स्थल पर मंदिर का निर्माण कराया। उसी समय से चली आ रही परम्परा, आस्था और श्रद्धा के वशीभूत होकर हज़ारों की तादाद में श्रद्धालु हर साल महाशिवरात्रि तथा सावन माह मेला लगता है। मान्यता है की भगवान शिव से जो भी मन्नते मांगी जाती है वो इच्छापूर्ति होता है।
शिव व शक्ति की मिलन की रात होती है शिवरात्रि
महाशिवरात्रि का महत्व इसलिए है क्योंकि यह शिव और शक्ति की मिलन की रात है। आध्यात्मिक रूप से इसे प्रकृति और पुरुष के मिलन की रात के रूप में बताया गया है। शिव भक्त इस दिन व्रत रखकर अपने आराध्य का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। मंदिरों में जलाभिषेक का कार्यक्रम दिन भर चलता है। इस रात, ग्रह का उत्तरी गोलार्ध इस प्रकार अवस्थित होता है कि मनुष्य के भीतर ऊर्जा का प्राकृतिक रूप से ऊपर की ओर जाती है। यह एक ऐसा दिन है, जब प्रकृति मनुष्य को उसके आध्यात्मिक शिखर तक जाने में मदद करती है। इस समय का उपयोग करने के लिए, इस परंपरा में उत्सव मनाते हैं, जो पूरी रात चलता है।
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