जिले में कालाजार उन्मूलन हेतु मरीजों के खोज के लिए प्रचार -प्रसार रथ को जिला अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ.अशोक कुमार सिंह के द्वारा गत सोमवार के दिन हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। इस रथ के द्वारा इस अभियान को बल देने हेतु समुदाय में जन-जागरूकता हेतु रवाना किया गया है। इस अवसर पर अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ.अशोक कुमार सिंह ने बताया कि जिले के बरबीघा प्रखंड के पिंजरी एवं शेखपुरा प्रखंड के कोसरा एवं गोसाईंगढ़ी गांव में आशा कार्यकर्त्ता घर -घर जाकर कालाजार के मरीजों की पहचान करेगी। अगर इन क्षेत्रों में कालाजार के मरीज पाये जाते हैं तो उन्हें नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ले जाकर इलाज में भी सहायता करना है एवं लगातार 6 महीने तक उस मरीज का देखभाल भी करना है। इसके लिए आशा को 500 रुपए प्रोत्साहन राशि देने का भी प्रावधान है। डॉ.सिंह बताते हैं की वर्ष 2022 में 2 कालाजार मरीज की पहचान हुई थी .पर उसके बाद से अभी तक कोई भी मरीज नहीं मिला है। हम सभी के लिए ये एक अच्छा संकेत है।
सदर अस्पताल में नि:शुल्क इलाज की सुविधा है उपलब्ध
इस मौके पर वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी श्याम सुंदर कुमार बताते हैं कालाजार मरीजों के जाँच की सुविधा जिले के सभी पीएचसी में नि:शुल्क उपलब्ध है। जबकि, सदर अस्पताल में समुचित इलाज की सुविधा उपलब्ध है। जिसके कारण संक्रमित मरीज मिलने पर उन्हें संबंधित पीएचसी द्वारा सदर अस्पताल रेफर किया जाता है। मरीजों को सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने पर श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में सरकार द्वारा 7100 रुपये की राशि दी जाती है। पीकेडीएल मरीजों को पूर्ण उपचार के बाद सरकार द्वारा 4000 रुपये श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में दिये जाने के प्रावधान की जानकारी उन्हें दी जायेगी। साथ ही पॉजिटिव मरीजों का सहयोग करने पर प्रति मरीज 500 रूपये संबंधित आशा कार्यकर्ता को दी जाती है। 15 दिनों से अधिक समय तक बुखार का होना कालाजार के लक्षण हो सकते हैं। भूख की कमी, पेट का आकार बड़ा होना, शरीर का काला पड़ना कालाजार के लक्षण हो सकते हैं। वैसे व्यक्ति जिन्हें बुखार नहीं हो लेकिन उनके शरीर की त्वचा पर सफेद दाग व गांठ बनना पीकेडीएल के लक्षण हो सकते हैं।
इस मौके पर वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी श्याम सुंदर कुमार बताते हैं कालाजार मरीजों के जाँच की सुविधा जिले के सभी पीएचसी में नि:शुल्क उपलब्ध है। जबकि, सदर अस्पताल में समुचित इलाज की सुविधा उपलब्ध है। जिसके कारण संक्रमित मरीज मिलने पर उन्हें संबंधित पीएचसी द्वारा सदर अस्पताल रेफर किया जाता है। मरीजों को सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने पर श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में सरकार द्वारा 7100 रुपये की राशि दी जाती है। पीकेडीएल मरीजों को पूर्ण उपचार के बाद सरकार द्वारा 4000 रुपये श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में दिये जाने के प्रावधान की जानकारी उन्हें दी जायेगी। साथ ही पॉजिटिव मरीजों का सहयोग करने पर प्रति मरीज 500 रूपये संबंधित आशा कार्यकर्ता को दी जाती है। 15 दिनों से अधिक समय तक बुखार का होना कालाजार के लक्षण हो सकते हैं। भूख की कमी, पेट का आकार बड़ा होना, शरीर का काला पड़ना कालाजार के लक्षण हो सकते हैं। वैसे व्यक्ति जिन्हें बुखार नहीं हो लेकिन उनके शरीर की त्वचा पर सफेद दाग व गांठ बनना पीकेडीएल के लक्षण हो सकते हैं।
कालाजार के लक्षण
– लगातार रूक-रूक कर या तेजी के साथ दोहरी गति से बुखार आना।
– वजन में लगातार कमी होना।
– दुर्बलता।
– मक्खी के काटे हुए जगह पर घाव होना।
– व्यापक त्वचा घाव जो कुष्ठ रोग जैसा दिखता है।
– लगातार रूक-रूक कर या तेजी के साथ दोहरी गति से बुखार आना।
– वजन में लगातार कमी होना।
– दुर्बलता।
– मक्खी के काटे हुए जगह पर घाव होना।
– व्यापक त्वचा घाव जो कुष्ठ रोग जैसा दिखता है।
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