जिले भर में हरितालिका व्रत तीज का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस मौके पर जहां सुहागिन महिलाओं ने सोलहों श्रृंगार करके दुल्हन के रूप में निर्जला उपवास रखते हुए गौरा, गणेश एवं शिव शंकर की पूजा-अर्चना कर पति की लंबी उम्र एवं दीर्घायु की कामनाएं की। वहीं, कुमारी कन्याओं ने भी अपने लिए ऐच्छिक पति पाने के लिए यह व्रत रखी। इस त्योहार को लेकर प्रत्येक हिंदू घरों की महिलाओं में विशेष उत्साह देखा गया। बताया गया कि माता पार्वती ने भगवान शंकर को अपने पति के रूप में पाने के लिए पहली बार यह व्रत रखी। यह त्योहार भादो मास शुक्ल पक्ष तृतीया के दिन तब से प्रत्येक वर्ष मनाया जा रहा है। ज्योतिषाचार्य बालाकांत पांडेय के अनुसार हरितालिका 2 शब्दों के मेल से बनाया गया है हरित और तालिका। उन्होंने बताया कि हरित का अर्थ है हरण व हरियाली और तालिका अर्थात सखी। यह पर्व भाद्रपद शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाया जाता है। जिसके कारण लोग इसे तीज भी कहते हैं। इस व्रत को हरितालिका इसलिए कहा जाता है, क्योंकि माता पार्वती की सखी उन्हें पिता के घर से हरण कर जंगल में ले गई थीं।
शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में रही तीज की धूम
ज्योतिषाचार्य के अनुसार सच्चे मन से जो भी सुहागिन महिलाएं इस व्रत को रखती है भगवान शिव शंकर उन्हें और उनके पति को लंबी दीर्घायु देते हैं तथा इस व्रत को जो भी कुमारी युवती करती है उन्हें मनपसंद वर की प्राप्ति होते हैं। करवा चौथ एवं वट सावित्री पूजा की तरह तीज का त्योहार भी काफी सुखदायक होता है। इसी वजह से सोमवार को क्षेत्र के शहरी एवं ग्रामीण इलाकों के प्रत्येक घरों में यह त्यौहार पूरे भक्ति भाव के साथ मनाया गया। सुहागिन महिलाएं निर्जला उपवास रखते हुए अपने घरों में पुआ, पकवान, अनरसा एवं पड़किया इत्यादि मिष्ठान बनाकर फल और मेवे के साथ अन्य महिलाओं के साथ बैठ पूजा-अर्चना करते हुए ब्राह्मणों से इस व्रत की कथा सुनी तथा ब्राह्मणों को दान-पुण्य भी किया।