सोमवार को जय प्रभा मेदांता सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, पटना के द्वारा सदर अस्पताल, शेखपुरा में निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया।इस निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर में हृदय रोग, कैंसर रोग, किडनी एवं मूत्र रोग और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की जांच और इलाज किया गया। साथ ही सभी का वजन, ब्लड प्रेशर, रैंडम ब्लड शुगर, SPO2 किया गया एवं 85 ईसीजी और 65 इको किया गया। 25 Suspected Cancer Patient (Blood cancer – 9, Oral Cancer – 4, Breast Cancer – 7, Uterus Cancer-4 , Pancreatic Cancer – 1) पाया गया। जांच के लिए डॉक्टर परामर्श की सुविधा भी मरीजों के लिए उपलब्ध थी। इस अवसर पर मेदांता कैंसर संस्थान के पीडियाट्रिक हेमाटोलॉजी एवं ऑन्कोलॉजी कंसल्टेंट डॉ.संतोष कुमार, मेदांता किडनी एवं रेनल इंस्टीट्यूट के सिनियर कंसलटेंट डॉ. तंजूलुर रहमान एवं मेदांता हार्ट इंस्टीट्यूट, संस्थान के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. प्रवीर सिन्हा ने मरीजों की जांच और इलाज निःशुल्क किये। इस शिविर के दौरान करीब दो सौ रोगियों स्क्रीनिंग किया गया। शेखपुरा से रेफर होने के उपरांत, आने वाले महीने में करीब करीब 25 से 30 रोगियों (हृदय, कैंसर, मूत्र से ग्रसित रोगी) को मेदांता अस्पताल में निःशुल्क चिकित्सा उपलब्ध कराई जाएगी। इसी क्रम में डॉक्टरों के लिए सीएमई का भी आयोजन किया गया। कैंसर और उससे जुड़े मिथ्स पर बात करते हुए जयप्रभा मेदांता सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के कैंसर स्पेशलिस्ट डॉ. हरी प्रसाद चीन्ति ने बताया कि कैंसर को लेकर आज भी लोगों के मन में कई तरह के भ्रम है। वह कैंसर के बारें में पता चलते ही उन्हें लगता है कि कैंसर होने के बाद उनकी जिंदगी खत्म हो गई है, लेकिन गत वर्षों में मेडिकल साइंस ने काफी तरक्की कर ली है। एक चिकित्सक क़े नजरिये से हमारी कोशिश होती है कि मरीज की जान बचाने के साथ-साथ उन्हें एक स्वस्थ जीवन प्रदान कर सके। इस अवसर पर मेदांता अस्पताल पटना के डॉ. तंजूलुर रहमान ने खराब जीवनशैली के कारण हो रहे किडनी एवं मूत्र रोग जैसे लम्बे समय से मधुमेह और हाई ब्लड प्रेशर के कारण किडनी पर हो रहे असर पर चर्चा की। डॉ. प्रवीर सिन्हा ने बताया कि “आज के समय में खराब जीवनशैली, मानसिक तनाव, ज्यादा नमक का सेवन करने आदि कारणों से बीपी की बीमारी तेजी से बढ़ी है। बीपी कई दूसरी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। मरीज अगर इसकी दवाएं न लें या लापरवाही बरते तो हाइपरटेंशन या बीपी जानलेवा साबित होता है। इसलिए इसे कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए।”
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