Sheikhpura News : मांगों के समर्थन में सीपीआई का प्रतिरोध मार्च; पीएम के नाम डीएम को सौपा ज्ञापन

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मंगलवार को संयुक्त किसान मोर्चा, भारतीय ट्रेड यूनियन व खेत मजदूर यूनियन के नेता और कार्यकर्ता बड़ी संख्या में सीपीआई कार्यालय से अपनी मांगों के समर्थन में और केंद्र सरकार के और केंद्र सरकार के जन विरोधी व मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए झंडा बैनर के साथ दल्लु चौक, खांड पर, कटरा चौक, चांदनी चौक होते जिला समाहरणालय पहुंचे और प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा। सीपीआई के राज्य कार्यकारिणी सदस्य सह लघु क्रशर उद्योग मजदूर यूनियन के जिला अध्यक्ष प्रभात कुमार पांडेय ने आंदोलनकारी को संबोधित करते हुए कहा कि आज संपूर्ण देश के जिला मुख्यालय पर केंद्र सरकार के किसान मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ आंदोलन किया जा रहा है, उसी के तत्वाधान में शेखपुरा में भी संयुक्त किसान मोर्चा, केंद्रीय ट्रेड यूनियन संगठनों तथा खेत मजदूर संगठनों के संयुक्त मंच के देशव्यापी आह्वान पर हम अपनी चेतावनी प्रदर्शन के माध्यम से जिलाधिकारी के समक्ष अपने न्यायपूर्ण लम्बित मांगों को मनवाने के लिए और उसे पूरा करने के लिए आंदोलन किया जा रहा है।
मांगे पूरी नहीं हुईं तो करेंगे बड़े आंदोलन 
उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में हम यह कहना चाह रहे हैं कि हम संविधान दिवस और ऐतिहासिक किसान आंदोलन की चौथी बरसी पर देश के 500 से अधिक जिलों पर चेतावनी प्रदर्शन के माध्यम से सरकार को आगाह कर रहे हैं कि यदि हमारी मांगे पूरी नहीं हुईं तो हम और बड़े आंदोलन की ओर कूच करेंगे। हमारा मानना है कि देश के विकास में मजदूरों, किसानों एवं अन्य मेहनतकश वर्गों का अहम योगदान है। उनकी उन्नति ही सही अर्थों में देश की प्रगति का सूचक है। लेकिन हमारे देश की सरकार-चाहे केन्द्र की हो या राज्यों की बड़े पूंजीपतियों, कारपोरेट घरानों और बड़े भू-स्वामियों के निहित स्वार्थों में काम करती हैं। हमारे देश का शासक वर्ग साम्राज्यवादी शक्तियों के साथ सांठगांठ करता है और साम्राज्यवाद परस्त नव उदारवादी नीतियों को लागू करता है। फलस्वरूप एक ओर जहां देश की आम जनता खासकर मेहनतकश अवाम बदहाली की शिकार है , वहीं मुट्ठी भर अमीरों, धन्नासेठों, पूंजीपतियों, भूस्वामियों एवं लुटेरों के पास देश की धन सम्पदा का बड़ा हिस्सा गिरवी है। ऐसे ही हालात में हम चुप बैठे रहे यह संभव नहीं है हमें आने वाले दिनों में एक बड़ी लड़ाई लड़ने की तैयारी अभी से शुरू कर देना होगा इसके लिए गांव-गांव में मजदूर किसानों की संगठन को संगठित कर आंदोलन की धार  को तेज करना आवश्यक हो गया है। 
विभिन्न मांगों को लेकर निकाला प्रतिरोध मार्च 
उन्होंने बताया कि सी 2+50 फीसदी के आधार पर एमएसपी की कानूनी गारंटी के साथ सभी फसलों की खरीद की गारंटी की जाए, किसानों की आत्महत्या को रोकने के लिए एक सर्वसमावेशी ऋण माफी योजना बनाई जाए, आम जनता के लिए खाद्य सुरक्षा की गारंटी की जाए, बिजली क्षेत्र का निजीकरण न हो-कोई प्रीपेड स्मार्ट मीटर न लगाए जाएं, कॉरपोरेट कंपनियों के लिए अंधाधुंध भूमि अधिग्रहण बंद हो, भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के प्रावधानों का सख्ती से पालन हो, फसलों, पशुधन, बागवानी सहित कृषि के अन्य क्षेत्र में सार्वजनिक बीमा योजना लागू की जाए, मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताओं को निरस्त किया जाए, आंगनवाड़ी, आशा, ममता, रसोइया सहित सभी योजना कर्मियों एवं संगठित-असंगठित मजदूरों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर 26000 रुपए के न्यूनतम मासिक वेतन को लागू करने सहित दर्जनों मांगे शामिल है। 
तय समय के भीतर मांगे नहीं हुई पूरी तो रहेगा न्यायपूर्ण संघर्ष जारी
आज का आंदोलन मजदूरों किसानों की इस चेतावनी रैली के माध्यम से हम केन्द्र सरकार को तीन महीने का अल्टीमेटम देने का संकल्प लेते हैं। यदि इस समय के भीतर मांगों को लागू नहीं किया गया, तो एसकेएम के घटक किसान संगठनों, ट्रेड यूनियनों और खेत मजदूरों के संगठनों को आपसी समन्वय स्थापित करके बड़े पैमाने पर अनिश्चितकालीन और देशव्यापी कॉरपोरेट विरोधी संघर्ष करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। जब तक मजदूरों, किसानों एवं अन्य मेहनतकश वर्गों की सभी मांगें पूरी नहीं हो जाती, यह न्यायपूर्ण संघर्ष जारी रहेगा। आंदोलन में ऑल इंडिया यूथ फेडरेशन के जिला सचिव नीधीश कुमार गोलू,वि श्वनाथ प्रसाद, खेत मजदूर यूनियन के जिला संयोजक धूरी पासवान, किसान‌ नेता रमाशंकर सिंह अधिवक्ता, गुलेश्वर यादव, जीशान रिजवी, सुदीन मांझी, गणेश रविदास, महिला समाज की नेता मालती देवी, राजेन्द्र महतो, नीरज पासवान, अबधेश रविदास, दुर्गा मांझी, तेजो मांझी समेत बड़ी संख्या में मजदूर-किसान एवं मजदूर संगठन के लोग शामिल हुए।

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