क्यों मनाते हैं अक्षय तृतीया का त्यौहार? जानें; इसका महत्वपूर्ण कारण!

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आप यहां जानेंगे अक्षय तृतीया से युधिष्ठिर, मां गंगा,मां अन्नपूर्णा और भगवान परशुराम का क्या है संबंध?
* अक्षय तृतीया वैशाख मास के शुक्ल पक्ष के तृतीया तिथि को मनाया जाता है पुरानी मान्यताओं के अनुसार इस दिन शुभ कार्य शुरू करने पर इसका शीघ्र अतिशीघ्र फल भी प्राप्त होता है।

 

– हिंदू धर्म की प्राचीन मान्यताओं के अनुसार त्रेता युग की शुरुआत आज ही के दिन से हुई।
– इससे जुड़ी एक और मान्यता या है कि आज ही के दिन महिलाएं अपने रसोई को पूरा करने के लिए मां अन्नपूर्णा की पूजा करती हैं
– महाभारत के रचयिता श्री वेदव्यास जी ने अक्षय तृतीया के दिन से ही महाभारत लिखना शुरू किया था।
– महाभारत से जुड़ी एक और मान्यता के अनुसार पांडवों के ज्येष्ठ पुत्र युधिष्ठिर को भी अक्षय पात्र की प्राप्ति अक्षय नवमी के दिन ही हुई थी अक्षय पात्र की खासियत यह थी कि उसमें से भोजन कभी खत्म ही नहीं होता था।
– भगवान विष्णु के छठा अवतार परशुराम जी का जन्म आज ही के दिन महर्षि जमदग्नि और माता रेणुका देवी से हुआ था। तब से अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ भगवान परशुराम की भी पूजा की जाती है।
– हिंदू धर्म की एक और मान्यताओं के अनुसार हजारों वर्षों की तपस्या के बाद महर्षि भागीरथी ने आज ही के दिन मां गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लेकर आए थे। ऐसी आस्था और विश्वास है कि अक्षय तृतीया के दिन गंगा में डुबकी लगाने से सभी रोग व पाप दूर हो जाते हैं।

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