SHEIKHPURA: भ्रष्ट स्वीटी का दरभंगा तबादला, जानें पूरी कहानी

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भ्रष्टाचार के कई आरोप लग चुके शेखपुरा सब रजिस्ट्रार स्वीटी सुमन का आखिरकार दरभंगा तबादला हो गया है। जिससे जिलेवासियों ने राहत की सांस ली है। अब मणीन्द्र नाथ झा शेखपुरा के नए सब रजिस्ट्रार होंगे। शेखपुरा से पहले वह सीतामढ़ी में पदस्थापित थे। बताया जाता है कि उन्होंने खुद अपना तबादला कराई है। तबदला होने के पश्चात वह किसी भी कर्मी को बिना जानकारी दिए डीएम को पत्र देकर दरभंगा रवाना कर गई। लगभग दो दिनों के बाद कर्मियों सहित अन्य अधिकारीयों को इसकी जानकारी मिली। गौरतलब हो कि भ्रष्ट्र सब रजिस्ट्रार स्वीटी सुमन ने शेखपुरा जिला में 11 जुलाई 2021 को अपना योगदान दी थी, जबकि उनका तबादला भी 11 जुलाई 2024 को हुआ है।
बता दें कि तत्कालीन सब रजिस्ट्रार स्वीटी सुमन के द्वारा जिला निबंधन कार्यालय में अधिवक्ता सुरेंद्र यादव सहित कातिब देवेंद्र सिंह व स्टाम्प वेंडर मनोज कुमार के प्रवेश पर रोक लगा दिया था। वजह अधिवक्ता सुरेंद्र यादव ने सब रजिस्ट्रार स्वीटी सुमन पर वृहद पैमाने पर भ्रष्टाचार करने एवं कार्यालय में दलालों के माध्यम से वसूली करने समेत कई गंभीर आरोप लगाते हुए निगरानी अन्वेषण ब्यूरो पटना को पत्र लिखा था। अधिवक्ता सुरेंद्र यादव ने आरोप लगाया था कि जिला अवर निबंधन कार्यालय में सरकार की रेवेन्यू को क्षति पहुंच कर लाखों रुपया का वसूली किया जा रहा है। जिसका पूरा सबूत हम सौंपने के लिए तैयार हैं। अधिवक्ता ने कहा था कि निबंधन पदाधिकारी स्वीटी सुमन के द्वारा रजिस्टर्ड केवाला का रेकड बदल दिया जाता है। जिसका वॉल्यूम 51, दस्तावेज 1394 है। इस दस्तावेज का वॉल्यूम इंडेक्स फीसबुक थम रजिस्टर को मिलान किया जाए, जिसका टोकन संख्या 9034, दस्तावेज नंबर 9064, दिनांक 14 अक्टूबर 2022 खाता नंबर 03 खसरा नंबर 738 रकबा 29 डेसिमल का रजिस्ट्री हुआ है। जहां रजिस्ट्रार की मिली भगत से उक्त खसरा का दस्तावेज 1 एकड़ 56.25 डिसमिल का रेकड बना दिया गया है और उसका मोटेशन भी करवा दिया गया है। जिसका भाग संख्या 6 पृष्ठ संख्या 9 है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि निबंधन पदाधिकारी स्वीटी सुमन के द्वारा भूमि का रकबा बदलकर लाखों रुपया का लेनदेन किया गया है। रजिस्ट्रार अपने घर में रहते हैं और रजिस्ट्री हो जाता है। दूसरे दिन वह अपने घर से आते हैं तो अपना हस्ताक्षर बनाते हैं तब जाकर दस्तावेज का स्कैन होता है। उसके कई दिनों के बाद परिदान होता है, जबकि रजिस्ट्री के उसी दिन परिदान नहीं होता है। 
आरटीपीएस काउंटर पर नहीं होता है आवेदन जमा
अधिवक्ता सुरेंद्र यादव ने बताया कि आरटीपीएस काउंटर पर कोई आवेदन जमा नहीं होता है बल्कि सभी आवेदन सब रजिस्ट्रार के चैम्बर में जमा होता है। दोपहर 3 बजे तक नाजायज वसूली होती है। उसके बाद रजिस्ट्री का कार्य शुरू होता है और सात-आठ बजे तक रजिस्ट्री होता है। जिनका नाजायज पैसे जमा हो जाता है, उनकी रजिस्ट्री के बाद आरटीपीएस होता है। कार्यालय में आए निबंधनयर्थियों रिश्वत के लिए मजबूर किया जाता है, जो रिश्वत देने से मना करते हैं, उनका रजिस्ट्री नहीं किया जाता है। जिला अवर निबंधन के द्वारा गैर कानूनी तरीके से दो व्यक्तियों क़ो रजिस्ट्री कार्यालय में रखा गया है जो पैसे की वसूली करते हैं। जिनका पैसा लेने का वीडियो भी वायरल हुआ था। ज़ब उपरोक्त मामले को उजागर किया तो जिला अवर निबंधक पदाधिकारी ने रजिस्ट्री कार्यालय मे हमे प्रवेश पर रोक लगा दिया है, जो संविधान के अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है।

निबंधनयार्थी ने भी लगाए थे गंभीर आरोप

सदर प्रखंड अंतर्गत गवय गांव में जमीन खरीदने के बावजूद भी क्रेता गवय गांव निवासी बिपिन कुमार की पत्नी मधु देवी क़ो भूमि का परिदान सब रजिस्ट्रार द्वारा नहीं किया जा रहा है। जिसको लेकर पीड़ित मधु देवी बीते 7 महीने से चक़्कर काट रही है। इस संबंध में पीड़ित मधु देवी ने बताया था कि मैंने रवि शंकर से बीते 1 फ़रवरी को मौजा गबय मे जमीन रजिस्ट्री करवाया। जिसका दस्तावेज 780 है, उक्त दस्तावेज का जाँच सब रजिस्ट्रार प्रधान लिपिक से करवाया गया था। प्रधान लिपिक ने अपने जांच रिपोट में लिखा है कि उक्त दस्तावेज कृषि भूमि दोफसला है। लेकिन जानबूझकर सब रजिस्ट्रार स्वीटी सुमन ने उक्त दस्तावेज को समाहर्ता-सह-जिला निबंधक को भेज दिया गया। जिसका पत्रांक 64 है। दिनांक 01.02.2023 भारतीय मुद्रांक अधिनियम की धारा 47 ए (3) में भेजा गया उक्त दस्तावेज की जांच समाहर्ता ने अपने स्तर से करवाया। उसमे भी कृषि भूमि दोफसला पाया गया एवं मुद्रांक शुल्क पूर्ण पाया गया। समाहर्ता के आदेश के बाद भी सब रजिस्ट्रार ने दस्तावेज नं0-780 का परिदान नहीं कर रहे है। जिसके चलते सात महीने से कार्यालय का चक्कर लगा रही हूँ।
प्रति केवल तय होता था रजिस्ट्री का रेट 

शेखपुरा व्यवहार न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेंद्र यादव ने सब रजिस्ट्रार स्वीटी सुमन के विरुद्ध निगरानी अन्वेषण ब्यूरो बिहार, पटना को पत्र लिखा है। जिसके माध्यम से उन्होंने रजिस्ट्री कार्यालय में चल रहे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की मांग की है। जिसमें आरोप लगाया गया है कि यदि रजिस्ट्री में संपत्ति का मूल्य 50 लाख रुपए से ऊपर है तो रिश्वत के रूप में टीडीएस के नाम पर 25 रुपए प्रति केवाला, कमीशन के तौर पर रजिस्ट्री पर 50 हजार रुपए और पावर से रजिस्ट्री पर 10 हजार रूपये, 3 रूपये प्रति हजार सीरिसता, स्थल जांच के नाम पर प्रति केवाला 1000 रूपये, 500 रूपये पेरीफेरल के नाम पर प्रति केवाला, 500 रूपये बुकिंग के नाम पर प्रति केवाला, 100 रूपये मुहर और टिप्पा के नाम पर प्रति केवाला वसूला जाता है।

दो एजेंट के माध्यम से वसूला जाता है नजराना
अधिवक्ता सुरेन्द्र यादव ने यह भी आरोप लगाया है कि सब रजिस्ट्रार स्वीटी सुमन के द्वारा दो एजेंट अंजनी कुमार और बड़े लाल को रखे हुए है, जो इनके लिए धमकी देकर राशि की वसूली करते हैं। वहीं, नाजायज राशि नहीं देने पर झूठे मुकदमे में फंसा कर उसे जेल भेजने की भी धमकी दिया जाता है। नाजायज वसूली का वीडियो भी उनके पास है। जिस वजह से निबंधन कराने आ रहे हैं लोगों को काफी परेशानी हो रही है। आम लोग इन दलालों के बीच में पड़कर अपनी जमा पूंजी का नुकसान कर रहे हैं। 


नाजायज वसूली की राशि रखे जाने वाले कमरे में नहीं लगा है सीसीटीवी 

वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेंद्र यादव ने निगरानी को भेजे गए पत्र में यह भी बताया है कि नाजायज वसूली कर सभी रूपये बाथरूम जाने वाले कमरे में रखा जाता है। यहां भी सीसीटीवी कैमरा नहीं लगा हुआ है, जो दस्तावेज लेखक एवं आम निबंधनार्थी नाजायज नजराना नहीं देते हैं, उसे झूठे मुकदमे में फ़साने का धमकी दिया जाता है और जांच के नाम पर रजिस्ट्री पेंडिंग रखा जाता है। लेनदेन पक्की होने के बाद ही रजिस्ट्री किया जाता है। 
गोपालगंज में सब रजिस्ट्रार पर हो चुकी है धोखाधड़ी की प्राथमिकी दर्ज़ 
गोपालगंज नगर थाना क्षेत्र के चैनपटी गांव के माधवेन्द्र सिंह ने निबंधन पदाधिकारी स्वीटी सुमन सहित आठ लोगों को पर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया था। घटना पांच वर्ष पूर्व का है। पीड़ित माधवेन्द्र सिंह ने आरोप लगाया था कि खाता नबंर 22, खेसरा नबंर 624 जिसका सर्वे नबंर 625 में 1कट्टा 3 धुर 10 धुरकी जमीन विनोद यादव ने 
उससे खरीदने की बात की। उसने चार लाख सतर हजार का चेक दिया था। शेष रुपये रजिस्ट्री के दिन देने की बात तय हुई थी। दोनों पक्ष गोपालगंज रजिस्ट्री कचहरी में आये। बैनामा का कागजात तैयार हुआ। सभी प्रक्रिया पूरी होने के बाद उक्त बैनामा का दस्तावेज निबंधन के लिये पेश हुआ। लेकिन शेष रुपये का भुगतान नहीं होने के कारण कबुलियत नहीं हो सका। 13 नवम्बर को गांव के लोगों से पता चला कि विनोद यादव ने जालफरेब कर उसका जमीन रजिस्ट्री करा लिया है।
पूर्व में आयकर विभाग ने सब रजिस्टार का दो करोड़ की बेनामी सम्पति की थी जब्त 
 
अधिवक्ता सुरेंद्र यादव ने बताया कि आयकर विभाग की बेनामी संपत्ति यूनिट में पटना सिटी की तत्कालीन डिप्टी रजिस्ट्रार स्वीटी सुमन की दो करोड़ से ज्यादा की बेनामी संपत्ति जब्त की थी। इस संपत्ति का बाजार मूल्य इससे कहीं ज्यादा है। सब रजिस्ट्रार द्वारा खरीदी गई सभी बेनामी संपत्ति को जब्त करने के बाद नियमानुसार यह मामला वर्तमान में नई दिल्ली स्थित आयकर विभाग गया था, जिसकी सत्यता जांचने के लिए विशेष न्यायालय में भेजा गया था, यहां से आदेश पारित होने के बाद इनकी सभी बेनामी संपत्ति को अंतिम रूप से जब्त कर लिया जाएगा। जांच में यह बात सामने आई थी कि पटना सिटी स्थित निबंधन कार्यालय में स्वीटी सुमन अपनी पदस्थापना के दौरान 2012-13, 2013-14, 2014-15 और 2015-16 में इसी इलाके में कई संपत्ति खरीदी है। स्वीटी सुमन ने अपनी मां बहन भाई समेत कुछ अन्य परिजनों के नाम पर संपत्ति रजिस्ट्री करवाई है, जबकि यह सभी परिजन किसी तरह का कोई काम नहीं करते हैं। जो सभी अख़बार व टीवी चैनलों की सुर्खिया बनी थी।  

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