SHEIKHPURA: स्वास्थ्य संस्थानों के स्टाफ नर्स एवं एएनएम को दिया गया एमपीए-सबकुटेनियस का प्रशिक्षण

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जिला के पांच स्वास्थ्य संस्थानों में 7 नवंबर से अब  तक कुल 1624 महिलाओं ने परिवार नियोजन के नए अस्थाई साधन के रूप में एमपीए-सबकुटेनियस को अपनाया है। इस आशय की जानकारी सोमवार को जिला स्वास्थ्य समिति के सभागार में स्वास्थ्य विभाग द्वारा परिवार नियोजन के नए अस्थाई साधन एमपीए सबकुटेनियस के प्रति जागरूकता को लेकर आयोजित स्टाफ नर्स एवं एएनएम के प्रशिक्षण कार्यशाला को संबोधित करते हुए सिविल सर्जन डॉ.संजय कुमार ने कही। अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ.अशोक कुमार सिंह बताया कि सदर अस्पताल शेखपुरा, रेफ़रल अस्पताल बरबीघा, एपीएचसी मालदह, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर सामस और सर्वा में अभी पायलट प्रोजेक्ट के तहत महिलाओं को एमपीए सब कुटेनियस इंजेक्ट किया जा रहा है। अभी बिहार में शेखपुरा 1 नंबर पोजीशन पर है। सोमवार को जिला के सभी प्रखंडो से  शेखपुरा क्षेत्र में कार्यरत 29 स्टाफ नर्स व एएनएम को एमपीए-सबकुटेनियस से जुड़ी सभी तकनीकी  पहलुओं से मास्टर ट्रेनर डॉ.नूर फातिमा के द्वारा विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई। ताकि ये स्टाफ नर्स व एएनएम अपने-अपने क्षेत्र में महिलाओं को परिवार नियोजन के नए अस्थाई साधन एमपीए सबकूटेनियस के प्रति विस्तार पूर्वक जानकारी देते हुए जागरूक कर अपने नजदीकी स्वास्थ्य संस्थान, जहां अभी यह सुविधा दी जा रही है, वहां भेजें ताकि उन्हें सुविधा दी जा सकें। आने वाले दिनों में संभव है कि आप सभी स्वास्थ्य संस्थानों के सेंटर पर यह सुविधा उपलब्ध हो तो आपको इस प्रशिक्षण से काफी सहूलियत मिलेगी। इस अवसर पर डीसीएम शुभम कुमार ने बताया कि बिहार राज्य में शेखपुरा एवं मुंगेर को इस योजना के लिए चुना गया है। 
एमपीए-सबकुटेनियस से लाभार्थी को कोई परेशानी नहीं होती 
वहीं, मास्टर ट्रेनर रूप में मौजूद डॉ.नूर फातिमा ने बताया कि एमपीए इंट्रा मस्कुलर की तरह ही एमपीए-सबकुटेनियस भी काम करता है। दोनों में ही मेडॉक्सी प्रोजेस्ट्रॉन एसीटेट होता है। सबकुटेनियस में इंट्रा मस्कुलर की तुलना में कम दवा होता है और यह प्री-लोडेड होता है, इसलिए इसको कहीं भी लाने ले जाने में कोई असुविधा नहीं होती है। इसको लाभार्थी को लगाना भी काफी सुविधाजन होता है। इंट्रा मस्कुलर को जहां मांसपेशियों में दिया जाता है, वहीं सबकुटेनियस को त्वचा के नीचे दिया जाता है। इसका सिरिंच भी छोटा होता है जिससे लाभार्थी को कोई परेशानी नहीं होती है।

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