शेखपुरा में तीन सौ वर्ष पूर्व सोनरवा देवी की रखी गयी थी नींव, दर्शन को दूसरे राज्यों से भी पहुंचते हैं बड़ी संख्या में श्रद्धालु

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शेखपुरा जिले में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी दुर्गा पूजा का त्यौहार धूमधाम से मनाए जाने को लेकर तैयारी जोरों-शोरों से जारी है। शेखपुरा जिले के विभिन्न क्षेत्रों में मुख्य रूप से स्थापित होने वाली मां दुर्गा की प्रतिमाओं का अपना अलग ही इतिहास है। शेखपुरा में बड़ी दुर्गा जी के नाम से प्रसिद्ध सोनरवा माँ दुर्गा प्रतिमा की नींव लगभग 300 साल पहले रखी गई थी। इस प्रतिमा को लोग सोनरवा दुर्गा जी के नाम से भी जानते हैं। वही इन्हें मनोकामना सिद्ध करने वाली माता के नाम से भी पुकारा जाता है। बताया जाता है कि शहर के मड़पसौना मोहल्ले के रहने वाले लक्ष्मी प्रसाद नामक एक स्वर्णकार ने इस प्रतिमा की नींव रखी थी तथा अपने सहयोगियों के साथ मिलकर लक्ष्मी प्रसाद ने सबसे पहले माहुरी टोला में इस प्रतिमा को स्थापित किया था। इसी जगह पर वर्तमान समय में माहुरी समाज के द्वारा दुर्गा प्रतिमा स्थापित किया जा रहा हैं। बहरहाल उसके बाद यह प्रतिमा वहां से उठकर बनिया टोला में चला गया और वर्षों तक उसी जगह पर स्थापित होता रहा, जहां अभी बनिया समाज के द्वारा माँ दुर्गा की प्रतिमा स्थापित किया जा रहा हैं। बताया जाता है कि दोनों जगह पर ही स्वर्णकार प्रतिमा स्थापित किए जाने के बदले किराया भरना पड़ता था। इसके बाद फिर इन्हें कमिश्नरी बाजार लाया गया और वर्षो से यह प्रतिमा यहां स्थापित होते आ रही है।
1953 से कमिश्नरी बाजार में स्थापित हो रही है यह प्रतिमा
वैसे तो स्वर्णकार माँ दुर्गा करीब 300 वर्षों से स्थापित हो रही है, परंतु कमिश्नर बाजार में यह ई. 1953 में स्थापित हुआ था। इसके पहले इनकी स्थापना माहुरी टोला एवं बनिया टोला में हुई थी, परंतु उसके बाद कमिश्नरी बाजार के पन्नालाल सर्राफ ने अपनी जमीन प्रतिमा की स्थापना के लिए दी, तब से लेकर आज तक ये प्रतिमा यहां स्थापित हो रहा हैं। इस दौरान पन्नालाल स्वर्णकार के साथ मिलकर लक्ष्मण वर्मा, जगदीश सर्राफ, लखनलाल, ज्वाला प्रसाद वर्मा सहित अन्य ने कमिश्नरी बाजार में बड़ी दुर्गा जी को स्थापित करने की शुरुआत की जो कि आज भी जारी है। धीरे-धीरे मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए कई लोग आगे आते आए और बढ़-चढ़कर अपनी सहायता दी। वर्तमान समय में इनकी देखरेख पूजा समिति के अध्यक्ष अशोक कुमार वर्मा, सचिव उमेश प्रसाद वर्मा, उप सचिव अरुण प्रसाद सर्राफ, कोषाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद वर्मा, उपाध्यक्ष डॉ.अशोक कुमार, राजेंद्र प्रसाद वर्मा, संजय कुमार वर्मा  सहित अन्य कर रहे हैं। 

तेज़ लाल रंग के रूप में होती है माँ दुर्गा की प्रतिमा स्थापित 
परंपरा के अनुसार तेज लाल रंग में मां दुर्गा की प्रतिमा आज तक स्थापित होते आ रही है। छठी के दिन बेल को निमंत्रण दिया जाता है तथा सातवीं को बेल भरनी का कार्यक्रम होता है। जिसमें पूरे गाजे- बाजे के साथ बेलभरनी जुलूस अपने स्थान से मस्जिद गली, चांदनी चौक, माहुरी टोला होते हुए मड़पसौना स्थित नवल माली के पास जाता है, जबकि मूर्ति विसर्जन के दौरान कहार द्वारा ही डोली पर माता को बैठाकर पूरे शहर का भ्रमण कराया जाता है। इस दौरान सैकड़ों की तादाद में श्रद्धालु कहार के रूप में डोली को कंधा देते हैं। इस दौरान अपने स्थान से माहुरी टोला, खांड पर, चांदनी चौक के बाद पुनः माहुरी टोला, लालबाग, चकदीवान, बुधौली होते हुए गिरिहिंडा के खीरी पोखर में इनका विसर्जन किया जाता है। 

मनोकामना सिद्ध करने वाली मानी जाती है बड़ी दुर्गा माता 
सोनरवा दुर्गा जी मनोकामना सिद्ध करने वाली माता मानी जाती है। जिले के अलावा दूसरे राज्यों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं तथा अपने सुख समृद्धि की कामना करते हैं। यहां पहुंचने वाले श्रद्धालु मंदिर के कायाकल्प के अलावा पूजा की तैयारियों में बढ़-चढ़कर अपनी भागीदारी भी निभाते हैं। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं द्वारा बढ़-चढ़कर चंदा दिया जाता है। लोगों की मान्यता है कि अगर सच्चे मन से यहां मन्नत मांगी जाती है तो माँ उसकी कामना जरूर पूरी करती है।

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