डेस्क: इस पंचायत को चिराग ने लिया था गोद, वहां का हाल जानकर चौक जाएंगे आप 

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बिहार के जमुई जिले का सांसद आदर्श गांव है सोनो ब्लॉक के तहत दहियारी पंचायत। इसे यहां के सांसद चिराग पासवान ने गोद लिया था। आदर्श गांव के तौर पर यहां चिराग ने बड़े-बड़े वादे किए थे। अब यहां की जनता रोज उस जमीन की ओर ताकती है, जहां अस्पताल बनना था, थाना बनना था, सोलर प्‍लांट लगना था। यही नहीं नीतीश के सात निश्चय भी यहां दम तोड़ते नजर आते हैं। यहां किसी भी व्यक्ति से बात करने पर सरकारी योजनाओं की स्याह हकीकत सामने आ जाती है। दहियारी पंचायत को आदर्श पंचायत बनाने के लिए 2014 में पहली बार लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने चिराग पासवान ने गोद लिया था। उद्देश्य था कि सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिए गए पंचायत के सभी 20 गांव में की जनता को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना। गांव को मॉडल बनाना। पीने के पानी की व्यवस्था से लेकर शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरूस्त करना। लेकिन हुआ कुछ नहीं। ग्रामीणों का आरोप है कि आदर्श पंचायत के नाम पर वो ठगे गए हैं। सांसद ने उन्हें ठगा है। हवा हवाई नेता की तरह वो एक बार पंचायत में आए और फिर निकल गए। पिछले 10 सालों में जिस हिसाब से विकास होना चाहिए था, वैसा तो बिल्कुल भी नहीं हुआ है। 


नल जल योजना की ओर से बनाई गई टंकी।

स्टेट हाइवे 333ए से एक लिंक रोड दहियारी पंचायत जाती है। गांव में बिजली की व्यवस्था है, पर वो लगातार नहीं रहती। दहियारी से आदिवासी टोला कहे जाने वाले खांजर जाने के रास्ते में एक शिलापट्ट दिखती है। जिस पर लिखा था ‘प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क निर्माण योजनान्तर्गत जीर हुलिया वन विभाग रोड से दहियारी ब्रह्म देवी स्थान तक सड़क का शिलान्यास सांसद चिराग पासवान के द्वारा किया गया’। शिलापट्ट पर शिलान्यास की तारीख 21-08-2015 लिखी हुई थी। इस शिलान्यास को करीब 9 साल हो गए। ग्रामीणों का दावा है कि आज तक यह रोड बनी ही नहीं। जिस जगह पर सड़क बनाने के लिए शिलान्यास हुआ था, वहां पर कुछ ग्रामीण मिले। इनमें से एक ग्रामीण ने कैमरे के सामने दावा किया कि सांसद बनने के बाद चिराग पासवान एक बार भी गांव में नहीं आए। इस पर सवाल पूछा गया कि फिर सड़क के शिलान्यास की यह शिलापट्ट कैसे लगी? इस सवाल के जवाब में ग्रामीण ने कहा कि बोर्ड कब लगा और वो किससे लगवा कर गए? यह पता नहीं। लेकिन, वो गांव में आज तक नहीं आए। ना ही कोई विकास हुआ है। पूरे इलाके में पानी की स्थिति खराब है। खेती के लिए सिंचाई की व्यवस्था नहीं है। मांझी टोला में तो आज तक रोड बना ही नहीं है। खांजर के आदिवासी टोला में बरसात में परेशानी होती है। वहां रोड और पुल की जरूरत है, पर वो भी आज तक बना ही नहीं। इलाके में नल-जल योजना के तहत पानी की टंकी और नल तो लगाए गए, पर बार-बार वो खराब हो जाता है। कई बार गांव के लोगों ने ही चंदा करके बनवाया। लेकिन, बार-बार खराब होने के कारण उसे छोड़ दिया गया।


बदहाल स्थिति में है गांव।

 

नाम का है उप स्वास्थ्य केंद्र
दहियारी पंचायत में यादव, पासवान, मांझी, आदिवासी और मुस्लिम मिलाकर करीब 6 हजार से अधिक वोटर हैं। मगर, इस पंचायत में अगर कोई व्यक्ति बीमार हो जाए तो उसे इलाज के लिए करीब 16 किलोमीटर दूर सोनो जाना होगा। स्वास्थ्य व्यवस्था के नाम पर बटिया में सिर्फ एक उप स्वास्थ्य केंद्र है। इसे स्टेट हाइवे से पतली सी गली के अंदर बनाया गया है। वहां गेट पर ताला लटका हुआ मिला। डॉक्टर या कोई भी मेडिकल स्टाफ हमें वहां नहीं दिखा। कैंपस में हमें एक चापानल लगा हुआ मिला। जो पूरी तरह से सूखा पड़ा था। उससे पानी नहीं आ रहा था। भास्कर की टीम को देख पड़ोस में रहने वाले पारू यादव वहां पहुंचे। उनसे पता चला कि 8-10 साल पहले उप स्वास्थ्य केंद्र को खोला गया था। 8-10 दिन पर ये खुलता है। यहां सिर्फ पोलियाे की दवा देने के लिए एएनएम आती हैं।

हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर जड़ा है ताला।

हम तो ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं

दहियारी में जनरल स्टोर चलाने वाले उपेंद्र यादव सीधे कहते हैं कि हम लोग ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। चिराग पासवान 10 साल सांसद रहे। आदर्श पंचायत बनाने के लिए दहियारी को गोद लिया और आदर्श ग्राम बनाया था। पर 20 प्रतिशत भी विकास हमारे पंचायत में नहीं हुआ। दो-चार बार आकर लोगों के बीच दिखावा किए वो। लेकिन, कोई प्रोग्रेस नहीं है। अब इस बार अपने जीजा अरुण भारती को लेकर चुनाव के मैदान में आए हैं। देखिए, इसका नतीजा क्या होता है। पंचायत के विकास, पानी और स्वास्थ्य व्यवस्था को ठीक करने के लिए कई बार शिकायत की गई। अधिकारियों से लेकर नेताओं तक को आवेदन दिया गया। किसी ने नहीं सुनी। इस साल तो धान की खेती तक नहीं हुई। गांव के लोगों को केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा। सपना दिखाया गया था कि आदर्श ग्राम बनने के बाद यहां रोड, पार्क, नहर और पढ़ाई के लिए कॉलेज की व्यवस्था होगी। बड़े कारखाने खुलेंगे, रोजगार के अवसर मिलेंगे। पर ऐसा कुछ नहीं हुआ।

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