शेखपुरा: तंत्र को नही गण की चिंता, खानापूर्ति बनकर रह गया डीएम का जनता दरबार

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जिले की जनता से सीधा संवाद स्थापित करने, उनकी समस्याओं एवं शिकायतों से अवगत होने तथा उनके त्वरित निवारण हेतु प्रभावी व्यवस्था स्थापित करने के लिए जिलाधिकारी द्वारा “जनता के दरबार में जिलाधिकारी” कार्यक्रम का प्रत्येक शुक्रवार को कलक्ट्रेट के मंथन सभागार में आयोजित की जाती है। न्याय के साथ समावेशी विकास एवं सुशासन के सिद्धांत पर आधारित सरकार की नीतियों, कार्यक्रमों एवं योजनाओं के क्रियान्वयन का लाभ प्राप्त करने के सम्बन्ध में होने वाली समस्या के बारे में सीधे आम जनता से संवाद प्राप्त करना तथा उसका निवारण इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है। इस कार्यक्रम के तहत आयोजित जनता दरबार में विधि-व्यवस्था एवं प्रशासनिक विभाग, सामाजिक प्रक्षेत्र तथा आधारभूत संरचना अंतर्गत विभागों से सम्बंधित समस्याएँ सुनी जाती हैं। जहाँ आमलोग अपनी समस्याओं को लेकर पहुँचते हैं। लेकिन पूर्व जिलाधिकारी सावन कुमार के तबादले के बाद लोगों को अब धीरे-धीरे जनता दरबार से मोहभंग होता दिख रहा है। डीएम सावन कुमार के कार्यकाल में जहाँ प्रत्येक शुक्रवार को आयोजित जनता दरबार में सैकड़ों फरियादी पहुंचे थे। वही आज फरियादियों की संख्या घटकर 20 से 25 पहुंच गयी है। ऐसा नहीं है कि जिले के आम लोगों की समस्याएं घट गयी हो बल्कि वर्तमान जिलाधिकारी जे.प्रियदर्शनी के लगातार जनता दरबार से अनुपस्थित रहने एवं समस्याओं का निराकरण में दिलचस्पी न लेने के कारण जनता दरबार से लोगों का मोहभंग होने लगा है। जिससे लोग जनता दरबार में आने से भी कतराने लगे हैं। इस संबंध में जिले के बुद्धिजीवीयों पूर्व प्रधानाध्यापक किशोरी प्रसाद, मंटू सिंह, शिवनंदन सिंह आदि ने बताया कि फरियादी जनता दरबार में न्याय की आस में जाते हैं किंतु ज्यादातर मामलों में सिर्फ आश्वासन मिलता है। फरियादियों को न्याय कम और जनता दरबार में आवेदन की समीक्षा ज्यादा की जाती है। जिससे लोगों को जनता दरबार से विश्वास उठता जा रहा है। उन्होंने बताया कि डीएम को फरियादियों को यह विश्वास दिलाना चाहिए कि हम आपके साथ हैं और आपके साथ नाइंसाफी नहीं होगी। आप जनता दरबार आए, आपके साथ न्याय किया जाएगा। लेकिन जनता दरबार में फरियादियों को न्याय मिलना तो दूर, डीएम से मिलना भी नसीब नहीं होता।

जनता दरबार में पहुंचे मात्र 29 फ़रियाद

शुक्रवार को आयोजित “जनता के दरबार में जिला पदाधिकारी” कार्यक्रम का आयोजन जिला समाहरणालय के मंथन सभागार में किया गया। उक्त बैठक में उप विकास आयुक्त संजय कुमार, अपर समाहर्ता, वरीय उप समाहर्ता, प्रभारी पदाधिकारी जिला जनता दरबार के साथ-साथ अन्य जिला स्तरीय पदाधिकारीगण आदि उपस्थित थें।इस संबंध में डीपीआरओ सौरव कुमार ने बताया कि आज के जनता दरबार में कुल 29 मामलें आये। रास्ता कब्जा करने, कॉलनी बनाने में बाधा उत्पन्न करने, जमाबन्दी कायम करने, पेंशन की राशि नहीे मिलने, राशन नहीं मिलने, सचिव पद का प्रतिवेदन नहीे मिलने, थाना द्वारा कोर्ट कार्यवाई नहीे करने बँटवारा करने के बावजूद भी दुकान खाली नहीे करने, भूमिहीन व्यक्ति को जमीन उपलब्ध कराने, जमाबंदी सुधार कर रसीद निर्गत करने, जमीन से बोर्ड हटाने, भारतीय स्टेट बैंक शाखा का कर्ज माफ करने, इंदिरा आवास योजना का लाभ लेने, नल का जल नियमित रूप से चालू करने, जान से मार देने की धमकी, परियोजना योजना के तहत मिल रही की अवधि की अवधि विस्तृत करने आदि से संबंधित मामलें प्राप्त हुये।

इन लोगों ने जनता दरबार मे रखी समस्या

अहियापुर निवासी पप्पू रजक का कहना था कि गैरमजरूआ रास्ता को अतिक्रमण कर कब्जा लिया गया है। तो वही मुसापुर निवासी महेश कुमार द्वारा बताया गया कि सरकार द्वारा मुझे कॉलोनी आवास दिया गया है, लेकिन कुछ लोगों के द्वारा कॉलोनी बनाने में बाधा उत्पन्न कर रहें है। सनैया से आए सोनू पंडित का कहना था कि पुराने जमाबंदी गलत है उसे हटाकर मेरे नाम से जमाबंदी कायम किया जाए। मुबारकपुर निवासी मोहन कुमार सिंह द्वारा बताया गया है कि भारतीय स्टेट बैंक शेखपुरा द्वारा माता जी का पेंशन की राशि सात साल बाद भी भुगतान नहीं किया जा रहा है। प्रखंड घाटकुसुम्भा निवासी संटू कुमार का राशन कार्ड रहने के बाद भी राशन की आपूर्ति नहीं की जा रही है। सामाचक निवासी कौशल्या देवी कहना है की जमीन का बॅटबारा होने के बावजूद भी किराये पर लिये गये दुकान की राशि उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। चेवाड़ा निवासी गौरी हलुवाई द्वारा प्रतिवेदित किया गया है कि मेरी स्थिति खराब है इसलिए मुझे भारतीय स्टेट बैंक से लिया गया कर्ज माफ किया जाए

 

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